वैसे मै बता दू पांचों पांडव में तीन पांडव युधिष्ठिर , भीम , अर्जुन के माता का नाम कुंती था।और अन्य पांडव नकुल,सहदेव की माता का नाम माधुरी था । माता कुंती और माधुरी दोनों महाराज पाण्डु के धर्मपत्नी थे । तो इस प्रकार पांचों पांडव महाराज पांडु के पुत्र हुए ।
पर आपको बता दू। ये पांचों पांडव महाराज पाण्डु के अपने अंश के पुत्र नहीं थे (आपको याद होगा महाराज पांडु को श्राप दिया गया था ऋषि के द्वारा जिन्हें पांडु ने पशु समझ कर मार दिया था) उनको श्राप मिला था की वो बच्चे नहीं कर सकते अगर बच्चे करेंगे तो मृत्यु हो जाएगी उनकी तन ये बात उन्होंने महारानी कुंती को बताई

महारानी कुंती के पास महर्षि दुर्वासा का दिया हुआ एक मंत्र (ज्ञान जो भी कहे) था जिससे वो किसी भी देव का आवाहन कर सकते थे और देव उन्हें वार देने के लिए मजबूत हो जाते थे। (जिसके कारण ही एक बात माता कुंती से गलती से मंत्र की सकती को परखने के लिए भगवान सूर्य का आवाहन कर दिया था तब भगवान सूर्यदेव ने उसे कुवारी कन्या होने के बावजूद एक पुत्र दिया को आगे चलकर कर्ण बना )

तत्प्चात् महारानी कुंती ने पुत्र कमान से भगवान का आवाहन कर तीन पुत्र पाया और इस मंत्र का ज्ञान माधुरी को दिया जिससे वो भी दो पुत्र पाया


पांडव को निम्न भगवानबके आव्हान कर मांगा गया था :~
युधि्ठिर ~धर्मराज से
भीम ~ वायुदेव से
अर्जुन ~ देवराज इंद्र से
नकुल और सहदेव जुड़वा थे ~ देव चिकित्सक अश्विनो (स्वयं भी जुड़वा थे) के वरदान स्वरूप हुआ था
युधिष्ठिर पांडवों में सबसे बड़े थे।
ये धर्म और नीति के ज्ञाता थे। धर्म का ज्ञान होने के कारण ही इन्हें धर्मराज भी कहा जाता था। पांडवों में सिर्फ युधिष्ठिर ही ऐसे थे जो सशरीर स्वर्ग गए थे।
भीम युधिष्ठिर से छोटे थे।
महाबलशाली थे। महाभारत के अनुसार युद्ध के दौरान भीम ने सबसे ज्यादा कौरवों का वध किया था। दु:शासन व दुर्योधन का वध भी भीम ने ही किया था।
अर्जुन पांडवों में तीसरे भाई थे।
ये देवराज इंद्र के अंश थे। महाभारत के अनुसार ये पुरातन ऋषि नर के अवतार थे। भगवान श्रीकृष्ण का इन पर विशेष स्नेह था। अर्जुन ने ही घोर तपस्या कर देवताओं से दिव्यास्त्र प्राप्त किए थे। भीष्म, कर्ण, जयद्रथ आदि का वध अर्जुन के हाथों ही हुआ था।
नकुल और सहदेव पांडवों में सबसे छोटे थे।
ये अश्विनकुमार के अंश थे। नकुल निपुण घुड़सवार, पशु विशेषज्ञ थे। सहदेव ने शकुनि व उसके पुत्र उलूक का वध किया था। वह तलवार में निपुण थे।
धन्यवद् ।