भगवान कृष्ण से जुड़ी रोचक कहानियाँ क्या हैं?

एक गोपी खेत में काम कर रही थी। वहाँ गोबर का ढेर था, जिसे वह हटाना चाहती थी, तभी श्री कृष्ण वहाँ आकर खड़े हो गए।

गोपी बोली, “अरे श्याम! मेरी मदद करो। एक काम करो, बस गोबर की टोकरी भरकर मुझे दे दो।”

श्री कृष्ण ने कहा, “तुम्हें पता है, मेरा मूड ठीक नहीं है…”

गोपी बोली, “देखो, मैं तुम्हें मक्खन की गोलियां दूंगी!”

श्री कृष्ण तुरंत दौड़े और बोले, “सचमुच, मक्खन काम के लिए है! ठीक है!”

वह उसे भरने लगा और उठाकर गोपी को दे दिया।

गोपी बोली, “देखो, तुम्हें पूरा ढेर भरकर मुझे देना है। अगर तुम एक टोकरी भरोगे, तो तुम्हारे लिए एक मक्खन की गेंद होगी!”

श्री कृष्ण ने कहा, “ठीक है! तुम्हें सौदा मिल गया!”

वह टोकरी भरकर देने लगा, लेकिन कुछ देर बाद वह गिनती भूल गया।

श्री कृष्ण ने कहा, “देखो, मैं हिसाब नहीं रख सकता!”

गोपी बोली, “देखो मुझे टोकरी के हिसाब से मक्खन देना है। तो चलो तुम्हारे गाल को हिसाब-किताब बना देते हैं! जब भी तुम टोकरी दोगे, मैं तुम्हारे चेहरे पर गोबर की एक बिंदी लगा दूंगी। जब तुम सारा गोबर दे दोगे, मैं तुम्हारे चेहरे पर लगी बिंदी गिनूंगी।”

श्री कृष्ण ने कहा, “तुम महान हो!”

उसने फिर अपना काम जारी रखा। उसका बायाँ गाल गोबर से भरा हुआ था, दायाँ भी गोबर से। उसका माथा भी गोबर से भरा हुआ था।

अब श्री कृष्ण बोले, “देखो, यह सचमुच बहुत कठिन काम है। मैंने बहुत मेहनत की है, अब मुझे मक्खन दो!”

उसने फिर अपना काम जारी रखा। उसका बायाँ गाल गोबर से भरा हुआ था, दायाँ भी गोबर से। उसका माथा भी गोबर से भरा हुआ था।

अब श्री कृष्ण बोले, “देखो, यह सचमुच बहुत कठिन काम है। मैंने बहुत मेहनत की है, अब मुझे मक्खन दो!”

गोपी बोली, “हाँ, याद है। मक्खन यहाँ नहीं है, घर पर है। आओ!

वह श्री कृष्ण के साथ चल रही है, और श्री कृष्ण के साथ निकटता के कारण खुश है।

वे घर पहुँचे, जहाँ एक सखी मौजूद थी। सखी ने श्री कृष्ण की ओर इशारा करते हुए हँसते हुए कहा, “तुमने उसके साथ क्या किया है!” वे दोनों जोर से हँसने लगीं।

श्री कृष्ण ने कहा, “क्या हुआ? तुम क्यों हँस रहे हो?”

गोपी बोली, “जाओ और आईने में देखो!”

श्री कृष्ण ने दर्पण देखा और कहा, “अरे! तुमने यह क्या किया?”

उसने तुरंत अपना चेहरा पोंछा और कहा, “ठीक है, अब! बहुत हो गया। मुझे मेरा मक्खन दे दो!”

गोपी बोली, “कौन सा मक्खन?”

श्रीकृष्ण बोले, “तुम भूल जाते हो! हमारा समझौता था कि जितनी टोकरियाँ मैं उठाऊँगा, उतना ही मक्खन मुझे मिलेगा

श्री कृष्ण रोने ही वाले थे। उनकी ठोड़ी और होंठ काँप रहे थे, और उनकी आँखें आँसुओं से भरी हुई थीं, तभी गोपी ने कहा, “ठीक है, रोओ मत! जितना चाहो उतना मक्खन ले लो।”

श्री कृष्ण ने अपने आंसू पोंछे और चेहरे पर बड़ी मुस्कान लाते हुए मक्खन से भरे बर्तन की ओर दौड़े।

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *