राम जी का साम्राज्य कहाँ तक फैला था?

राम राज्य एक परिकल्पना है एक सोच है एक विचार है. यह गांधी जी ने भी सोच था कि भारत मे राम राज्य स्थापित हो। उन्होंने शोशन मुक्त, समानता मूलक ,अस्पर्शयता रहित ,ग्राम सम्वन्धित अर्थव्यवस्था आधारित समाज को ही राम राज्य मन था। भारत के महापुरुष महात्मा गाँधी एक सनातन धर्मि थे और अपने धर्म को समर्पित थे. उन्होंने भी स्वतंत्र भारत में रामराज्य की कल्पना की थी. समत्व समभाव सभी नागरिकों को समान अधिकार और गरीब कमजोर को प्राथमिकता तथा राजा का दयालु होना, लोकप्रिय होना हमारे संविधान में उन्होंने रखवाया. इसी कारण भारत एक धार्मिक देश न होकर सभी धर्मों के लिए समभाव वाला देश है आजादी के बाद से जबकि उसी समय आज़ाद हुआ पाकिस्तान एक धार्मिक देश है और वहां अल्पसंख्यक लोगों को समान अधिकार नहि है बल्कि उन पर ईशनिन्दा जैसे कठोर विधर्मी क़ानून लागु कर उत्पीड़न अब भी हो रहा है. उनको समानता भी नही है।

तुलसीकृत श्रीरामचरित मानस में इस संकल्पना के बारे में विस्तार से दिया गया है. राजा राम के राज्य क्या था ,केसा था ,जनता और राजा के मध्य केसा सम्वन्ध था, राज कर्मचारि कैसे थे. राम राज्य कहा तक फैला था ,इसका कितना विस्तार था. ये सभी सवालों के जवाब अंतिम कांड में है.

अब राम राज्य श्री रामचरितमानस के अनुसार, उत्तर कांड से;

रामराज बैठे त्रेलोका, हर्षित भये गए सब शोका. वयरू न कर कहु सौ कोई, राम प्रताप विषमता खोयी.

वर्णाश्रम निज निज धर्म निरत वेद सब लोग, चलहिं सदा पावहि सुखहिं नहिं भय शोक न रोग.

दैहिक देविक भौतिक तापा, रामराज नहि काउहिं व्यापा. सब नर करहिं परस्पर प्रीती,चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीति.

अल्पमृत्यु नहि कबनिउ पीरा, सब सुंदर सब बिरुज सरीरा. नहि दरिद्र कोउ दुखी न दीना, नहि कोउ अबुध न लक्षणहीना.

भूमि सप्त सागर मेखला, एक भूपति रघुपति कोशला. भुअन अनेक रोम प्रति जासु, यह प्रभुता कछु बहुत न तासु.

इसमें प्रश्नकर्ता का जवाब मिल गया है. जैसे रामराज में सब हर्षित खुशी थे, शोक नहि था, वैर भाव न था ,शारीरिक मानसिक आत्मिक रोग क्लेश नहि देते थे ।सब अपने धर्म का वरण का पालन करए थे. अल्पमृत्यु नही होती थी। सब पड़े लिखें विद्वान थे। कोई भी दुखी दीन न था। दैहिक देविक भौतिक दुख न थे। रोग क्लेश न देते थे. अर्थात राजा ने स्वास्थ्य सेवा ,सुरक्षा, धन ,शिक्षा, सबकी सबके लिए व्यवस्था की थी. इसके अलावा इसी ग्रन्थ में तुलसीदास जी ने रामराज्य में अनेक अन्य खूबियों विषेशताओं का भी वर्णन किया है. संक्षिप्त में हि यहा लिखा है. सिर्फ उत्तर का उद्देश्य पुरा हो यही मंतव्य है.

रामराज्य का विस्तार, पूरी धरती पर था। सभी धरती के राजा एक ही राजा राम थे. यह भूमि सात समुद्रों से घिरी थी। अर्थात पूरी पृथ्वी पर हि रामराज्य था और उपरोक्त भूमि सभी सूख सुविधा सर्व गुण सम्पन्न था. सातों महाद्वीपों पर राम राजा अकेले हि थे, सब उनके अंदर हि शाशन करते थे. राम चक्रवर्ती राजा थे।

सत्यार्थप्रकाश में भी स्वामी दयानन्द सरस्वती ने भी कहा है की सिर्फ आर्यावर्त के हि राजा चक्रवर्ती होते थे और उनका राज्य समस्त पृथ्वी पर था। अमेरिका, यूरोप ,अरब, ईरान और समुद्र पर्यन्त सभी द्वीपों पर भी आर्य राजाओं का हि अधिकार था। महाराज युधिष्ठिर पर्यन्त राजाओं चक्रवर्ती सम्राटों की सूची भी दी है इस ग्रंथ में. महाकवि संत तुलसीदास के बाद आर्यसमाजी दयानन्द जो मात्र वेद को हि सनातन का आधार मानते है वे युही रामराज्य का या आर्यावर्त के चक्रवर्ती राजाओं का और भारत भूमि की महत्ता का वर्णन नहि करेंगे, बल्कि सत्य के साथ हि करेंगे प्रमाण के होने पर ही करेंगे या किया है। जो सत्य है वही लिखा है. अतः आर्यावर्त के चक्रवर्ती सम्राटों का राज्य पूरी पृथ्वी पर था। उन्होंने शाशन नीति नियम से चलाया द्वेष भाव या जनता को प्रताड़ित करके नही.

भारत के इतिहास में उज्जैन के राजा विक्रमदित्य का वर्णन है जो कि इश जन्म के पूर्व राजा थे और 100 वर्ष राज्य करते रहे। ईशा के समय भी भारत मे राज्य किया। यूरोप में रोम को जीत लिया उन्होंने, सीजर राजाओं को हाराय। वैकु अजरबेजान में अग्नि मन्दिर तथा मक्केश्वर महादेव मन्दिर अरब में बनवाया। यह प्रतापी राजा थे। लहते है धारानगरी के राजा भोज भी इनके सिंहासन पर बैठकर न्याय कड़ते थे। सिंहासन बत्तीसी और विक्रम वेताल इनके जीवन पर आधारित किस्से कहानियां है।

वर्तमान समय भी श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत मे रामराज्य से कम नही है। सभी सामान है गरीबों मो आर्थिक सहायता है जरूरतमंद को मदद मिलती है। विधि का शाशन है। धर्म की स्वतंत्रता है। संविधान का आदर है। देश की सीमाएं सुरक्षित है। लिंगभेद नही हे। सभी मजहव और सनुयाही लहद का धर्म चुनने अपनाने प्रचार प्रसार के लिए आज़ाद है। कोई कोसी पर धौंस नही जमा पता। उलझे मसले न्यायालय से सुलझते है। न्यस्य व्यवस्ज स्वतंत्र है। आवश्यक सामाजिक सुधार हो रहड़ है। 3 तलाक छूमंतर हो गया। सवर्णों को गरीबो को भी आरक्षण मिल गया है। समानता बढ़ रही है। सरकड मजबूत है जनता मोज़ कर रही है। अधिकारी कर्मचारी मस्त है।

अब राम मंदिर अयोध्या के बनने का कार्य शुरू हो गया है। 1528 में बाबर ने यहां अयोध्या में हमला करके राम मंदिर को तुड़वा दिया था ऐसा माना जाता है। गुरु गोविंद सिंह ने अयोध्या को औरंगजेब से मुक्त करवया था तथा गुरु नानक भी अयोध्या में सिख संगत के प्रचार हेतु आये थे और ज्ञानी लोगो से शास्त्रार्थ किया था। अयोध्या को उघलो से मुक्ति हेतु अनेक ईद करने पड़े हिन्दू लड़ते रहे और अब 2019 में इस पर न्यायालय का निर्णय आया तथा 5 अगस्त को मन्दिर निर्माण कार्य शुरू हुए। सोमपुरा इज़के अरचेटेक्ट है। शिलाएं बनकर तैयार है और अन्य काम चल रहे है। इसके निर्माण में कोई सरकारी धन नही लग रहा है बल्कि न्यायालय के निर्णय के अनुरूप धर्मनिरपेक्षता को ध्यान रखकर जनता के दान से कार्य शुरू कर दिया गया है

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